आंजनबिहरी सरपंच पर राजनीतिक द्वेषपूर्ण कार्यवाहीः दिनेश पुष्पतोड़ेकाम्प्लैक्स आबंटित मामले में हटाये गए सरपंच दिपक पुष्पतोड़े, कार्यवाहक सरपंच का चुनाव


बालाघाटःकटंगी जनपद पंचायत की आंजनबिहरी पंचायत के सरपंच दिपक पुष्पतोड़े पर म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत सरपंच पद से तत्काल पृथक किया गया हैं, जिसको कार्यवाहक सरपंच, पंचो और ग्रामीणों में भारी आक्रोश हैं उन्होने कहा कि यह कार्यवाही राजनीतिक द्वेष के चलते की गई हैं जबकि दिपक पुष्पतोड़े पूर्व में जिलाउपाध्यक्ष सरपंच संघ, संयोजक पठार संघर्ष समिती, अध्यक्ष राष्ट्रीय किसान मजदुर संघ तिरोडी का नेतृत्व किया गया, जिसको देखते ही आंजनबिहरी पंचायत में युवा सरपंच चुना गया था, और कार्यवाही केवल छोटे से कसुर के चलते पद से पृथक करने की कार्यवाही कर दी गई।

कार्यवाहक सरपंच दिनेश पुष्पतोड़े, सम्मुखानंद पुष्पतोड़े, निरंजनाबाई चिचखेडे, अनिषा दरवळकर, गिताबाई पुष्पतोड़े,

शोभाबाई रामटेके, दामोदर राऊत, रुख्माबाई मेश्राम, जितेन्द्र उईके, चंद्रशेखर गाडेकर, गणेश मानेश्वर, लक्ष्मीबाई पुष्पतोड़े, रेखाबाई गणेश गौपाले, दुर्गाबाई इनवाते सोनवाने, मोहन झलपुरे पंचों ने निविरोध सरपंच दिनेश पुष्पतोड़े को चुना है। उन्होने एक सुर में कहा कि यह कार्यवाही अधिकारियों को आड़े हाथ लेकर राजनीति द्वेष के चलते की गई है।

ग्रामीणों ने कहा कि दुकानदारों की लगातार मांग और पंचों के हस्तक्षेप के बाद अस्थाई रूप से दुकान लगाने का कार्य दिया गया लेकिन जिस प्रकार से शिकायत की गई और शिकायत के बाद कार्रवाई की गई है यह राजनीतिक

द्वेष के चलते किया गया है। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में आक्रोश का माहौल है कि जिस प्रकार से एक समाजसेवी को हमने गांव के विकास के लिए एक युवा सरपंच को चुना था और उन्होंने गांव के हित में ही काम किया है क्योंकि जिस स्थान पर दुकान संचालित की जा रही थी, दुकान संचालकों में अपनी रोजी रोटी का अभाव हो रहा था। उन्हें आर्थिक परेशानियां हो रही थी तभी ग्राम सभा में एक अनुमोदन के तहत में अस्थाई रूप से दुकान दे दी गई है ना की दुकान का आवंटन किया गया है।

पंचों ने कहा कि गांव के विकास में जिस तरह से युवा
दीपक पुष्पतोड़े ने सरपंच रहते हुए कार्य किया है वह एक सराहनीय लेकिन जिस तरह से युवा सरपंच के विरुद्ध धारा 40 के तहत पद से पृथक करने की कार्रवाई की गई है वह द्वेष पूर्ण है, दुकान आवंटन किया ही नहीं गया है बल्कि अस्थाई रूप से दुकान दे दिया गया है। जिस स्थान पर शॉपिंग कंपलेक्स का निर्माण किया गया है इस स्थान पर उक्त चार ग्रामीणों के द्वारा वर्षों से अपनी रोजी-रोटी के लिए दुकान संचालित की जा रही थी और शॉपिंग कांप्लेक्स निर्माण के होने से उन्हें भी खुशी थी कि आप उनकी टूटी-फूटी दुकान पक्के और शासकीय योजना के तहत बने परिसर में लगेंगी। जब कांम्पलेक्स का निर्माण हो गया तो गांव वालों और पंचो की सहमति से ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया गया और इस प्रस्ताव के तहत में अस्थाई रूप से दुकान संचालित करने के लिए दे दिया गया।

शिकायत, जांच और फिर कार्यवाही…

आंजनबिहरी निवासी ग्रामीण राजु मेश्राम ने शिकायत की थीं कि नियम विरूद्ध शापिंग काम्प्लैक्स आवंटन किया गया हैं। सरपंच/सचिव द्वारा काम्प्लैक्स निर्माण की सी.सी. जारी किये

बगैर, बिना उच्च अधिकारियों की सहमति के 04 दुकाने आबंटित किये गए हैं। जिस पर एक जांच टीम बनाकर जांच कराई गई, जिसमें आंजनबिहरी में 15 वॉ वित्त आयोग से शापिंग काम्प्लेक्स निर्माण 6.70 लाख रूपये से 04 कमरों का निर्माण कराया गया। कार्य का मूल्यांकन हो चुका भुगतान शेष हैं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ है। सरपंच द्वारा बगैर पंचायत की सहमति के एवं उच्चाधिकारी को जानकारी दिये बगैर उन लोगो को 7-8 माह पूर्व 04 दुकाने आबंटित कर दी गई जिनकी पूर्व में दुकाने थी, दुकानदारो द्वारा आबंटित दुकानों पर अपना-अपना नाम भी लिखा रखा हैं। इसी के तहत जिला पंचायत सीईओं अभिषेक सराफ के द्वारा म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दोषी पाये जाने दीपक पुष्पतोड़े, सरपंच को 28 नवम्बर को सरपंच पद से तत्काल पृथक कर दिया गया तथा आगामी छः वर्ष की कालावधि के लिये निरर्हित घोषित किया जाता हैं। वहीं तात्कालिन सचिव राजकु‌मार मानकर को आंशिक रूप से दोषी पाये जाने से 05 दिवस की वेतन कटौती की गई हैं।

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